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स्वामी विवेकानंद
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नाम - स्वामी विवेकानंद | Swami Vivekananda
मूल नाम - नरेन्द्र दत्त | Narendra Dutt
जन्म - 12 जनवरी, 1863 ई., कलकत्ता, बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश इंडिया ( अब कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत )
मृत्यु - 4 जुलाई, 1902 ई., बेलूर, रामकृष्ण मठ
गुरु - स्वामी रामकृष्ण परमहंस | Swami Ramkrishna Paramhans
नागरिकता - भारतीय | Indian
कार्य क्षेत्र - दार्शनिक, अध्यात्मिक गुरु और सामाजिक कार्यकर्ता | Philosopher, Spiritual Guru and Social Activist
उपलब्धि और सफलता - विश्व धर्म-महासभा में सन् 1893 ई. को हिन्दू धर्म पर ऐतिहासिक भाषण दिया था, जिसमें स्वामी जी ने वेदान्त दर्शन के उच्च सिद्धांतों का प्रतिपादन किया था। भारत में प्रतिवर्ष उनके सम्मान में उनके जन्म दिवस ( 12 जनवरी ) को 'राष्ट्रीय युवा दिवस' | National Youth Day के रूप में मनाया जाता है।
आज स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर प्रस्तुत है विवेकानंद जी के महत्वपूर्ण उद्धरण और अनमोल विचार :-
- 'एक विचार को अपनाओ। उसी के बारे में सोचो उसी का ख्वाब देखो और उसे जीने की कोशिश करो। अपने दिमाग, पेशियों, स्नायुओं और शरीर के हर हिस्से को उसी विचार से भर दो। दूसरे किसी विचार को अपने भीतर पनपने ही न दो। यह एक कामयाबी का एक निश्चित मार्ग है।' - स्वामी विवेकानंद
- 'जब भी कोई व्यक्ति थोड़ा अलग सोचता व करता है तो उसके बारे में तीन बातें निश्चित होती है - उपहास, विरोध और अंत में स्वीकृति। पहले उपहास उड़ता है, फिर विरोध होता है, लेकिन आखिर में स्वीकृति भी मिलती है।' - स्वामी विवेकानंद
- 'नए काम को एकाएक कम स्वीकृति नहीं मिलती। इसलिए सोच विचार के बाद ही जो हमें सही लगता है, उसे ही करना चाहिए बजाय दूसरे का अनुकरण करने के। साथ ही जिस बात को हम सत्य समझते हैं, उसे अभी कर डालें।' - स्वामी विवेकानंद
- 'मेरे युवा मित्रों। तुम बलवान बनो। गीता पाठ करने की अपेक्षा फुटबॉल खेलो क्योंकि बलवान शरीर से तुम गीता को अधिक अच्छी तरह से समझ सकोगे। शरीर में ताजा रक्त रहने से तुम कृष्ण की प्रतिभा व महान तेजस्विता को अच्छी तरह समझ सकोगे।' - स्वामी विवेकानंद
- 'शिक्षा का उद्देश्य तथ्यों व सूचनाओं के संकलन मात्र नहीं अपितु उसे तकनीकी कौशल के साथ-साथ विद्यार्थियों को वैचारिक व चारित्रिक रूप से मजबूत भी बनाने वाला होना चाहिए।' - स्वामी विवेकानंद
- 'दुनिया को अब भी भारत से न सिर्फ सहिष्णुता, बल्कि संवेदना का विचार भी सीखने की जरूरत है। - स्वामी विवेकानंद
- 'लक्ष्य को ही अपना जीवन-कार्य समझो। हर समय उसका चिंतन करो, उसी का स्वप्न देखो और उसी के सहारे जीवित रहो।' - स्वामी विवेकानन्द
- 'अपने ही दोष ढूँढ निकालना ज्ञानवीरों का काम है।' - स्वामी विवेकानंद
- 'अतीत को दफना दो, अनन्त भविष्य तुम्हारे सामने है।' - स्वामी विवेकानंद
- 'नास्तिक वह है जिसे अपने पर विश्वास नहीं है।' - स्वामी विवेकानंद
- 'तुम हमेशा कह सकते हो कि प्रतिमा ईश्वर है, केवल यही सोचने से बचना कि ईश्वर प्रतिमा है।' - स्वामी विवेकानंद
- 'बुद्धिमान पुरुष वही है जो प्रत्येक कार्य को अपने लिए रुचिकर बना ले।' - स्वामी विवेकानंद
- 'आत्मविश्वास सरीखा दूसरा कोई दोस्त नहीं।' - स्वामी विवेकानंद
- 'लक्ष्य ही कर्मशक्ति है।' - स्वामी विवेकानंद
- 'अपनी सब प्रकार की दुर्दशा, अवनति व दुःख के लिए हम ही जिम्मेदार हैं।' - स्वामी विवेकानंद
- 'विश्व एक व्यायामशाला है, जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।' - स्वामी विवेकानंद
- 'महान् त्याग के द्वारा ही महान् कार्य सम्भव है।' - स्वामी विवेकानंद
- 'अगर आपको 33 करोड़ देवी-देवताओं पर भरोसा है, लेकिन खुद पर नहीं तो आपको मुक्ति नहीं मिल सकती। खुद पर भरोसा रखें, अडिग रहें और मजबूत बनें।' - स्वामी विवेकानंद
- 'मन की दुर्बलता से भयंकर और कोई पाप नहीं।' - स्वामी विवेकानन्द
- 'यदि विश्व में कोई पाप है तो वह है दुर्बलता। दुर्बलता को दूर करो, दुर्बलता पाप है, दुर्बलता मृत्यु है।' - स्वामी विवेकानंद
- 'भारत जागे और अपनी आध्यात्मिकता के बल पर संसार पर विजय प्राप्त करे।' - स्वामी विवेकानंद
- 'धर्म वह वस्तु है, जिससे पशु मनुष्य तक और मनुष्य परमात्मा तक उठ सकता है।' - स्वामी विवेकानंद
- 'धर्म केवल सुनने अथवा मान लेने की चीज नहीं है, जब समस्त मन, प्राण, विश्वास एक हो जाए तब हम उसे धर्म कहते हैं।' - स्वामी विवेकानंद
- 'मुझे आज तक ऐसा नहीं लगा कि कोई वस्तु या स्थिति भली नहीं हो।' - स्वामी विवेकानंद
- 'हम वो हैं जो हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का ध्यान रखिए कि आप क्या सोचते हैं। शब्द गौण हैं। विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं।' - स्वामी विवेकानंद
- हम जैसा बोते हैं, वैसा काटते हैं। हम अपने भाग्य के निर्माता स्वयं हैं। - स्वामी विवेकानंद
- सफल और सार्थक जीवन जीने के लिए मन का नियंत्रण बहुत जरूरी हैं। जो व्यक्ति मन पर नियंत्रण करना नहीं जानता, वह सफल नहीं हो सकता। - स्वामी विवेकानंद
- 'अब समय आ रहा है, जब भारत सबका नेतृत्व करेगा।' - स्वामी विवेकानंद
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